काहेकि दुसरी जात हुन कि इच्छा को हिसाब से काम करन, अर लुचपन कि बुरी लोभ हुन, दारू पीवन वालो, लीलाक्रीड़ा, पियक्कड़ पन, अर बुरो काम म मूर्ति पूजा म जहाँ लक हम न पहले बखत गँवाया उही ढ़ेर भयो।
फिर मीना छोटा बड़ा सब मरीया वाला ख सिंहासन को जोने खड़ा होते हुए देख्यो, अर किताब खोली गई; अऊर फिर एक अऊर किताब खोली गई, एकोमतलब जीवन कि किताब; अर जसो वी किताब हुन म लिख्यो हतो रहा, वसा ही उनको काम को अनुसार मरीया वाला को न्याय करो गयो।