फिर वहाँ रूकन को अपनो बखत पुरो कर ख हमना बिदा लियो अर अपनो सफर पा निकल पड़या। अपनी ओरत अर पोरिया-पारी समेत वी पुरा सहर को बाहर लक हमरो संग आया। फिर वहाँ सागर को किनार म हमना टोगरिया को बल झूक ख बिनती करी।
तब पतरस न सब ख बहार निकाल दियो, अर घुटना टेक ख विनती करी अर मुर्दा लास कि तरफ देख ख कय्हो, कि “अरे तबीता, उठ।” तब ओ ना अपनी आँखी खोल दियो; अर पतरस ख देख ख उठ बैठी।