काहेकि हम सब न का यहूदी होख का यूनानी, का दास होन पर का आजादी, एक आय आत्मा को दुवारा एक सरीर होख का लाने का बपतिस्मा लियो, अऊर हम सब ख एक ही आत्मा पिलायो गयो।
एकोलाने कि मसी न भी, याने अधर्मी हुन को लाने धरमी न, पाप हुन का लाने एक बार दुख उठायो, काहेकि हम ख परमेस्वर को नजदीक पहुँचाए; उ सरीर का भाव से ते जख्म कियो गयो, पर आत्मा ख भाव से जिलायो गयो।