तुम इंसान हुन ख ओको प्रेम को ग्यान मिल्यो होए, फिर भी उ ग्यान से परो हैं। असो तरीका से तुम इंसान हुन, परमेस्वर ख जान सका हैं अऊर तुम ओको बारे म पुरो जान सका हैं।
अब मी वी दुख को लाने खुसी मना उ हैं, न जे तुम्हारो लाने उठा उ हूँ अर मसी को क्लेसो खी घटी ओकी सरीर को लाने, अर्थात् कलीसिया को लाने, अपनो सरीर म पुरी करा हूँ;