काहेकि पहिले हम भी बेग्यानी, अर कहेना नी मानन वाला, अर गलत फैयमी म पड़िया अर कई तरीका कि मन की मरजी हुन अर सुख सान्ति की गुलामी म हता अर बैरभाव, अर गुस्सा करनो म जीवन बितात रह अर घिन्न करन वाला हता। अर एक दुसरा से बैर रखत रहा।
काहेकि जब परमेस्वर न उन स्वर्ग दूत हुन ख जीन न पाप करियो नी छोड़ो, पर नरक म भेज ख अन्धेरा का गडडा हुन म डाल दियो जाहे काहे कि न्याव को दिन तक बन्दी रहे;