एका लाने मी तुमारा पीठ पीछु यी बात हुन लिखू हैं, कि उपस्थित हो ख मो ख उ अधिकार को अनुसार जेसे प्रभु न बिगाड़न का लाने नी पर सुधार करन का लाने मो ख दियो हैं, कड़ाई महेनत से कुछ करनु नी पड़े।
अब देख, या बात से कि तुम ख परमेस्वर भक्ति ख दुख भयो तुम म कित्ता कि धुन अर हर एक जवाब अर गुस्सा, अर डर, अर लालसा, अर धुन अर सजा देन ख विचार उत्पन्न भयो? तुम न सब तरह से यू पुरो कर दिख्यो कि तुम यू बात म बेकसूर हैं।