तुम लोग पाप हुन को वजे अऊर अपनो स्वभाव को खतना को अभाव को कारन मर गया था। परमेस्वर न तुम लोगो ख मसी को संग जी उठायो हैं। ओ न हमारो सब अपराध हुन ख माप करियो हैं।
जित्ती ओ ना बड़ाई करी अर सुख चैन भोगयो, उत्तोइच ओखा दुख अर दरद देव; काहेकि वा अपनो मन म बोला हैं, ‘मी रानी बन ख बठी हैं, राड़ नी; अर फिकर म कभी नी पड़न की।’
सरदीस की कलेसिया को दूत ख असो लिख: “जेको जोने परमेस्वर कि सात आत्मा हुन अर सात तारा हैं।” उ असो कहाँ हैं कि मी तोरो सुभाव ख जानू हैं: तू जिन्दो तो हैं पर हैं मरिया।