ऐको संग ही संग वी घर-घर फिर ख आलसी होना सिखा हैं, अर सिरप आलसी नी पर फक्कड़-फक्कड़ करते रहव हैं अऊर दुसरो को काम म हात भी डाला हैं, अर बेकार की बात भी करा हैं।
काहेकि उ बखत आ गयो हैं कि पहले परमेस्वर को घरानो का न्याव कियो जाहे; अर जब कि फैसला का सुरू हम ही से होगो, ते उनको का खत्म होए जो परमेस्वर को अच्छो समाचार ख नी मानत हैं?