काहेकि असा पति जो विस्वास नी रखा हो, उ पत्नी को कारन सुध्द रवह हैं; अर असी पत्नी जो विस्वास नी रखा, पति का कारन सुध्द रवह हैं; नी ते तुमारो पोरा पारी असुध्द रवह हैं, अगर अब ते सुध्द हैं।
जे बिवाव करन से रोकेगो, अर खान की कुछ चीज से परे रहन को आदेस देयेगो जिन ख परमेस्वर न एकोलाने सृजा की विस्वासी अर सही को पहिचानन वालो उन ख धन्यवाद को संग खाएँ।
भरोसा ही से हम जान जाव हैं, कि पुरी दुनिया की रचना परमेस्वर को वचन को वजे से भई हैं पर असो नी हाय की जे कुछ देखनु म आवा हैं, उ देखी वाली चीज से बन्यो होय।