11 अर ओरत ख चुपचाप पुरो अधीनता से सिखानो चहिए।
11 बायले लेकी के ओगाय पुरा अधीन ले सिकतोर जरूरी आय।
अदि म चाहूँ हैं कि तुम ख यू मालूम होय कि हर एक अदमी को माथा मसी हैं, अऊर ओरत हुन को माथा अदमी आय, अऊर मसी को सिर परमेस्वर आय।
हे ओरत हुन, जसो प्रभु म उचित हैं, वसो ही अपनो अपनो पति को अधीन रहो।
पर भली बात हुन से, काहेकि परमेस्वर को भक्ति करन वाला बाई हुन का इही उचित भी हैं।
अर धीरज रखन वाली, अदमी को धरम पुरो करन वाली, घर को कारोबार पुरो करन वाली, भली, अर अपनो-अपनो अदमी को बस म रहन वाली होय ताकि परमेस्वर को वचन की बुराई नी होनो चहिए।
अरे घर वाली हुन, तुम भी अपनो घर वालो को बस म रहो, एकोलाने कि अदि इन म से कोई असो हैं जो वचन का नी माना हैं,