इन सब की विस्वासी दसा म ही माऊत भई। उनका वादा करी वाली जगा नी मिली, सिरप दुर ही से ओखा देख्यो अर ओकी इज्जत करी। उनना मान लियो कि वी दुनिया म परदेसी अऊर बाहर ख रहवासी आय।
जिन न उ बीतो बखत म आग्या नी मानी, जब परमेस्वर नूह का दिन हुन म सान्ति रख ख रोको रय्हो, अर उ नाव बना रय्हो हता, जे म बैठ ख थोड़ा अदमी याने आठ प्रानी पानी को दुवारा बच गया।