पर मी न ओको उत्तर दियो कि रोमी कि यू रीति नी कि कोई इंसान का दण्ड को लाने सोप देहे, जब तक मुद्दाअलैह को अपन मुद्दई हुन को सामे खड़ो होय ख अपराध को उत्तर देन ख अवसर नी मिले।
एका लाने मी तुमारा पीठ पीछु यी बात हुन लिखू हैं, कि उपस्थित हो ख मो ख उ अधिकार को अनुसार जेसे प्रभु न बिगाड़न का लाने नी पर सुधार करन का लाने मो ख दियो हैं, कड़ाई महेनत से कुछ करनु नी पड़े।
उचित हैं कि मी तुम सब को लाने असा ही विचार करू, काहेकि तुम मोरो मन म आ ख बसे हो, अर मोरी जेल म अर सुसमाचार का लाने जवाब अर नमस्कार देन म तुम सब मोरो संग सामिल हो गया हैं।