पर उन्म जड़ी गहरायी तक नहीं होवय हय, अऊर हि जादा दिन तक नहीं रह्य सकय। येकोलायी सन्देश स्वीकार नहीं करन को वजह सी भूल जावय हय, त उन पर कठिनायी यां उपद्रव आवय हय, त हि तुरतच ठोकर खावय हय।
पर जो कोयी ऊ पानी म सी पीयेंन जो मय ओख देऊं, ऊ फिर अनन्त काल तक प्यासो नहीं होयेंन; बल्की जो पानी मय ओख देऊ, ऊ ओको म एक सोता बन जायेंन जो अनन्त जीवन लायी उमड़तो रहेंन।”
कहालीकि सूरज निकलतो समय कड़ी धूप पड़य हय अऊर पौधा मुरझाय जावय हय, अऊर ओको फूल झड़ जावय हय अऊर ओकी शोभा कम होत जावय हय। योच तरह धनवान भी अपनो कार्य म चलतो चलतो नाश होय जायेंन।