4 फिर तीसरो स्वर्गदूत न अपनो कटोरा नदियों अऊर पानी को झरना पर कुड़ाय दियो, अऊर ऊ खून बन गयो।
उन्ख अधिकार हय कि आसमान ख बन्द करे, कि उन्की भविष्यवानी को दिनो म पानी नहीं बरसे; अऊर उन्ख सब पानी को झरना पर अधिकार हय कि ओख खून म बदल सके, अऊर उन्ख यो भी अधिकार हय की हि जब चाहे उतनो बार हर तरह की विपत्ति धरती पर लाय सकय हय।
ओन बड़ो आवाज सी कह्यो, “परमेश्वर सी डरो, अऊर ओकी महानता की महिमा करो, कहालीकि ओको न्याय करन को समय आय पहुंच्यो हय; ओकी आराधना करो, जेन आसमान, धरती, समुन्दर अऊर पानी को सोता ख बनायो।”
तब मय न पानी को मालिक स्वर्गदूत ख यो कहतो सुन्यो, “ऊ तयच आय जो सच्चो हय, जो हमेशा हमेशा सी, तयच आय जो पवित्र तय न जो करयो हय न्याय हय।