4 हर एक अपनोच हित को नहीं बल्की दूसरों को हित की भी चिन्ता करे।
“पर जो कोयी इन छोटो म सी जो मोरो पर विश्वास करय हंय एक ख ठोकर खिलावय, त ओको लायी ठीक होतो कि ओको गरो म गरहट को पाट लटकाय क ओख समुन्दर की गहरायी म डुबायो जातो।
खुशी मनावन वालो को संग खुशी मनावो, अऊर रोवन वालो को संग रोवो।
हम बलवानो ख होना कि कमजोरों की कमजोरी ख सहे, नहीं कि अपनो आप ख खुश करे।
कोयी अपनीच भलायी ख नहीं, बल्की दूसरों की भलायी ख ढूंढय हय।
कौन्की कमजोरी सी मय कमजोर नहीं होऊं? कौन्को ठोकर खानो सी का मोरो जीव नहीं दुखय?
हम कोयी बात म ठोकर खान को अवसर नहीं देजे ताकि हमरी सेवा पर कोयी दोष मत आय।
कहालीकि सब अपनो स्वार्थ की खोज म रह्य हंय, नहीं कि यीशु मसीह की।
तब भी यदि तुम पवित्र शास्त्र को यो वचन को अनुसार कि “तय अपनो पड़ोसी सी अपनो जसो प्रेम रख” सचमुच ऊ राज व्यवस्था ख पूरी करय हय, त अच्छोच करय हय।