28 येकोलायी मय न ओख भेजन को अऊर भी कोशिश करयो कि तुम ओको सी फिर मुलाखात कर क् खुश होय जावो अऊर मोरो भी शोक कम होय जाये।
उच तरह तुम्ख भी अब त दु:ख हय, पर मय तुम सी फिर मिलूं अऊर तुम्हरो मन खुशी सी भर जायेंन; अऊर तुम्हरी खुशी कोयी तुम सी छीन नहीं लेयेंन।
हि यो सोच क या बात सी दु:ख सी होतो जो ओन कहीं होती कि तुम मोरो मुंह फिर नहीं देख सको। तब उन्न ओख जहाज तक पहुंचायो।
अऊर मय न याच बात तुम्ख येकोलायी लिखी कि कहीं असो नहीं होय कि मोरो आनो पर, जिन्कोसी मोख खुशी मिलनो होना मय उन्को सी उदास होऊं; कहालीकि मोख तुम सब पर या बात को भरोसा हय कि जो मोरी खुशी हय, उच तुम सब को भी हय।
येकोलायी तुम प्रभु म ओको सी बहुत खुशी होय क ओको स्वागत करजो, अऊर असो लोगों को आदर करजो,
अऊर तोरो आसुवों की सुधि ले क तोरो सी मिलन की आशा रखू हय कि खुशी सी भर जाऊं।