9 त याजकों की रीति को अनुसार ओको नाम की चिट्ठी निकली कि प्रभु को मन्दिर म जाय क धूप जलायेंन।
तब ऊ उन सिक्का ख मन्दिर म फेक क चली गयो, अऊर जाय क अपनो आप ख फासी दे दियो।
सब कुछ यो तरह व्यवस्थित होय जान को बाद याजक पहिलो कमरा म हर दिन सिर कर क् अपनो सेवा को काम पूरो करत होतो,