3 का तुम असो निर्बुद्धि हय कि परमेश्वर की आत्मा को द्वारा सुरूवात कर क् अऊर अपनो शरीर की शक्ति को द्वारा पूरो करनो चाहवय हय?
मय तुम सी केवल एक बात जाननो चाहऊं हय कि तुम न परमेश्वर की आत्मा ख, का व्यवस्था को पालन करनो सी यां सुसमाचार सुनन सी यां विश्वास करनो सी मिल्यो?
का तुम न इतनो दु:ख बेकारच उठायो? पर कभी भी बेकार नहाय।
एक तम्बू बनायो गयो होतो, जेको पहिलो कमरा म दीवट होतो, अऊर मेज, अऊर जेको पर भेंट की रोटी होती; जेक पवित्र जागा कह्यो जात होतो।