9 जसो हम न येख पहिले कह्य चुक्यो हंय, वसोच मय अब फिर कहू हय कि ऊ सुसमाचार कि शिक्षा देवय हय, जो तुम्हरो द्वारा स्वीकार करयो हुयो सी अलग हय, त ओको नरक म नाश होयेंन।
अब हे भाऊवों अऊर बहिनों, मय तुम सी बिनती करू हय, कि जो लोग ऊ शिक्षा को विरुद्ध, जो तुम न पायो हय, फूट डालन अऊर ठोकर खिलावन को वजह होवय हंय, पहिचान लियो करो अऊर उन्को सी दूर रहो।
येकोलायी मय न या इच्छा करी होती त का मय न मनमानी दिखायी? यां जो करनो चाहऊ हय का शरीर को अनुसार करनो चाहऊ हय कि मय बात म “हव, हव” भी करू अऊर “नहीं, नहीं” भी करू?