1 हे प्रिय, थियुफिलुस, मय न पहिली किताब उन सब बातों को बारे म लिख्यो जो यीशु सुरूवात सी करतो अऊर सिखावत रह्यो,
कि अन्धा देखय हंय अऊर लंगड़ा चलय फिरय हंय, कोढ़ी शुद्ध करयो जावय हंय, अऊर बहिरा सुनय हंय, मुर्दों ख जीन्दो करयो जावय हंय, अऊर गरीबों ख सुसमाचार सुनायो जावय हय।
ऊ दिन को बाद सी ओकी पत्नी इलीशिबा गर्भवती भयी; अऊर पाच महीना तक अपनो आप ख यो कह्य क लूकाय क रख्यो,
अऊर येकोलायी, मान्यवर थियुफिलुस मोख भी यो ठीक मालूम भयो कि उन सब बातों को पूरो हाल सुरूवात सी ठीक-ठीक जांच कर क्, उन्ख तोरो लायी एक को बाद एक लिखूं।
सेवक न तब कह्यो, ‘हे मालिक जसो तय न कह्यो होतो, वसोच करयो गयो हय; अऊर तब भी जागा हय।’
ओन उन्को सी पुच्छ्यो, “कौन सी बाते?” उन्न ओको सी कह्यो, “यीशु नासरी को बारे म जो परमेश्वर अऊर सब लोगों को जवर काम अऊर वचन म सामर्थी भविष्यवक्ता होतो,
जब यीशु खुद उपदेश करन लग्यो, त लगभग तीस साल की उमर को होतो अऊर जसो समझ्यो जात होतो यूसुफ को बेटा होतो; अऊर ऊ एली को,
“हे इस्राएलियों, या बाते सुनो: यीशु नासरी एक आदमी होतो जेको परमेश्वर को तरफ सी होन को सबूत उन सामर्थ को कामों अऊर अचम्भा को कामों अऊर चिन्हों सी प्रगट हय, जो परमेश्वर न तुम्हरो बीच ओको सी कर दिखायो जेक तुम खुदच जानय हय।”