येको सी अब केवल योच बात को डर नहाय कि हमरो यो काम-धन्दा को महत्व जातो रहेंन, बल्की यहां तक कि महान देवी अरतिमिस को मन्दिर तुच्छ समझो जायेंन, अऊर जेक पूरो आसिया अऊर जगत भक्ति करय हय ओको सम्मान भी घटतो रहेंन।”
कहालीकि पौलुस न इफिसुस को जवर सी होय क जान को सोच लियो होतो कि कहीं असो नहीं होय कि ओख आसिया म देर लगे; कहालीकि ऊ जल्दी म होतो कि यदि होय सकय त ऊ पिन्तेकुस्त को दिन यरूशलेम म रह्य।