पर जब मय न देख्यो कि हि सुसमाचार की सच्चायी पर सीधी चाल नहीं चलय, त मय न सब लोगों को आगु पतरस सी कह्यो, “जब तय यहूदी होय क गैरयहूदियों को सामने नहीं। त तय गैरयहूदियों ख यहूदियों को आगु चलन ख कहाली कह्य हय?”
मय प्रभु म बहुत खुश हय कि अब इतनो दिन को बाद तुम्हरी चिन्ता मोरो बारे म फिर सी जागृत भयी हय; निश्चय तुम्ख सुरूवात म भी येको बिचार होतो, पर ओख प्रगट करन को अच्छो अवसर नहीं मिल रह्यो होतो।