अऊर ओको सी कह्यो “हर एक आदमी पहिले अच्छो अंगूररस देवय हय, अऊर जब लोग पी क सन्तुष्ट होय जावय हंय, तब फिको देवय हय; पर तय न अच्छो अंगूररस अभी तक रख्यो हय।”
दूसरों को अन्याय करन को बदला उन्कोच अन्याय होयेंन। उन्ख दिन दोपहर भोग-विलाश करनो भलो लगय हय। हि लोग कलंकित अऊर अपराधी हंय; जब हि तुम्हरो संग खावय-पीवय हंय, त हि धोकाधड़ी सी अपनो तरफ सी प्रेम भोज कर क् भोग-विलाश करय हंय।