यो वजह कि परमेश्वर ख जानय हय पर हि परमेश्वर को रूप म सम्मान या धन्यवाद नहीं देवय। बल्की हि अपनो बिचार म पूरी रीति सी निरर्थक अऊर उन्को खाली दिमाक अन्धारो सी भर गयो हय।
मय त फिर भी पहिले निन्दा करन वालो, अऊर सतावन वालो, अऊर हिन्सा करन वालो होतो, तब भी मोरो पर दया भयी, कहालीकि मय न अविश्वास की दशा म बिना समझ्यो यो काम करत होतो।
कहालीकि हम भी पहिले नासमझ, अऊर आज्ञा नहीं मानन वालो, अऊर गलत होतो। अऊर कुछ तरह की इच्छावों अऊर सुखविलास को चाहत म होतो, अऊर बैरभाव, अऊर जलन करन म जीवन बितावत होतो, अऊर घृना रखत होतो, अऊर एक दूसरों सी दुश्मनी रखत होतो।
गैरयहूदी को बीच अपनो व्यवहार इतनो अच्छो बनायो रखो कि चाहे हि अपराधी को रूप म तुम्हरी आलोचना करे पर तुम्हरो अच्छो कर्मों को परिनाम स्वरूप ओको आवन को दिन हि परमेश्वर ख महिमा प्रदान करे।
पर हि लोग निर्बुद्धि जनावर को जसो हंय, जो पकड़्यो जानो अऊर नाश होन को लायी पैदा भयो हंय; अऊर जिन बातों ख जानयच नहाय उन्को बारे म दूसरों ख बुरो भलो कह्य हंय, हि जंगली जनावर को जसो नाश कर दियो जायेंन।
पर हि लोग उन बातों की आलोचना करय हय जिन्ख हि समझावय नहाय हि लोग बुद्धीहीन जनावरों को जसो जिन बातों सी सहज रीति सी परिचीत हय यो बाते या आय जिन्कोसी उन्को नाश होन वालो हंय।