हम कर देबो यां नहीं देबो? यीशु न उन्को कपट जान क उन्को सी कह्यो, “मोख कहाली फसावन कि कोशिश कर रह्यो हय? एक चांदी को सिक्का मोरो जवर लावो, अऊर मोख देखन देवो।”
इतनो म जब हजारों की भीड़ लग गयी, यहां तक कि हि एक दूसरों पर गिरत पड़त होतो, त ऊ सब सी पहिले अपनो चेलावों सी कहन लग्यो, “फरीसियों को कपटरूपी खमीर सी चौकस रहो।
जब तय अपनोच आंखी को लट्ठा नहीं देखय, त अपनो भाऊ सी कसो कह्य सकय हय, ‘हे भाऊ; रुक जा तोरी आंखी सी तिनका ख निकाल देऊ?’ हे कपटी, पहिले अपनो आंखी सी लट्ठा निकाल, तब जो तिनका तोरो भाऊ कि आंखी म हय, ओख भली भाति देख क निकाल सकेंन।
जित तक हम गवाहों को इतनो बड़ो बादर सी घेरयो हुयो हय, त फिर आवो बाधाये डालन वाली हर एक चिज ख अऊर ऊ पाप ख जो सहजता सी हम्ख उलझाय देवय हय ओख फेक दे, अऊर आवो वा दौड़ जो हम्ख दौड़नो हय, ओख धीरज को संग दौड़े,
जसो शास्त्र म लिख्यो हय, “यदि तुम्ख अपनो जीवन की खुशी लेनो हय, अऊर अच्छो समय की इच्छा रखय हय त, अऊर ओख चाहिये की बुरी बात बोलन सी रोके अऊर झूठ बोलनो बन्द करे।