16 जो प्रेम परमेश्वर हम सी रखय हय, ओख हम जान गयो अऊर हम्ख ओको विश्वास हय। परमेश्वर प्रेम हय, अऊर जो प्रेम म बन्यो रह्य हय ऊ परमेश्वर म बन्यो रह्य हय, अऊर परमेश्वर ओको म बन्यो रह्य हय।
पर जसो लिख्यो हय, “जो बात आंखी न नहीं देखी अऊर कान न नहीं सुनी, अऊर जो बाते आदमी को चित म नहीं चढ़ी, उच हंय जो परमेश्वर न अपनो प्रेम रखन वालो लायी तैयार करी हंय।”