1 एखर बाद भुंइ के चारो पल्ला चार स्वरगदूत के मै ठाढ देखो, भुंइ के चारो हवा के रोक के रखै रथै, ताकि भुंइ हे सागर हे अउ रूख हे उनखर मसे कउनो के उप्पर हवा झइ चल पाबै।
अउ ऊ सगलू भुंइ हे फइले मनसेन के भरमामै के निता निकड पडिस, ऊ गोग अउ मागोग के भरमाही ऊ उनके युध्द के निता अकजुट करही, ऊ ओतकै अनगिनत हुइहिन जेतका समुन्दर के कुदरा हबै।
तबै मै ऊ चार परानी के बीच लग हइ आरो सुनो, “अक रोज के मजदूरी के बदला अक रोज के खाय के गोहूं अउ अक रोज के मजदूरी के बदला तीन रोज तक खाय के जबा, पय जैतून के तेल अउ दाखरस के हानि झइ पहुंचाबा।”
जब पहिला स्वरगदूत पोंगा फूंकिस, ता आगी अउ ओर पइदा हुइस, जेहमा खून मिले हर रथै, उनके भुंइ हे फटक दय गइस, एखर बाद अक्ठी भाग भुंइ जर गइस अउ अक्ठी भाग रूख जर गइस अउ सगलू हरियर चारो जर गइस।