ऊ राजगद्दी के आगू, चारो परानी अउ सियान के आगू अक्ठी नबा गीत गाथै, उन अक लाख चवालिस हजार मनसे के अलाबा, जउन सगलू भुंइ के मनसेन मसे खरीदे गय रथै अउ कउ ऊ गीत नेहको सीख सकथै।
तब मोके असना अहसास हुइस कि मै अक्ठी कांच के समुन्दर के देखथो, जेहमा आगी मिलरे हर होय अउ मै देखथो कि उन ऊ गोरू के मूरती हे अउ ओखर नाम लग सबंधित गिनती हे जीत पाय लय हबै, उहो ऊ कांच के समुन्दर हे ठाढ हबै, उन भगवान के दवारा दय हर बसुरी रथै।
तब मै राजगद्दी के लिघ्घो चार परानी अउ सियानन के बीच ठाढ अक्ठी गेडरा के देखो, ऊ माना बलि चढाय हर गेडरा रथै, ओखर सात सींग अउ सातठे आंखी रथै, हइ भगवान के सात आतमा हबै जिनही भगवान सगलू भुंइ हे पठोय हबै।
जब गेडरा किताब के लइ चुकथै तब उन चार परानी अउ चउबीस सियान ऊ गेडरा के नमस्ते करथै, उन सबके लिघ्घो धूप अउ बसुरी रथै अउ उन महके बाले चीज लग भररे हर सोना के खोरिया रथै, जउन पवितर मनसे के बिनती रथै।
तबै मै ऊ चार परानी के बीच लग हइ आरो सुनो, “अक रोज के मजदूरी के बदला अक रोज के खाय के गोहूं अउ अक रोज के मजदूरी के बदला तीन रोज तक खाय के जबा, पय जैतून के तेल अउ दाखरस के हानि झइ पहुंचाबा।”
काखे ऊ मेमना जउन राजगद्दी के बीच हे हबै, उनखर देखभाल करही, ऊ उनके जीवन दे बाले पानी के झरना के लिघ्घो लइ जही अउ भगवान उनखर आंखी के हर आंसू के पोंछ देही।”