16 इहैनिता कि तै कुनकुन हबा अउ न ठंड हबा अउ न गरम, मै तुमके अपन मुंह लग उगलै बाले हव।
इहैनिता सुरता कर कि तै कछो लग गिरे हबै अउ मन फिरा अउ उन कामन के कर, जउन पहिले के जसना काम करत रथस। अगर तै मन नेहको फिरइहे, ता मै तोर लिघ्घो आयके तोर चिमनी के ओखर जाघा लग हटाय देहुं।
मै तोर कामन के जानथो कि तै न तो ठंड हबा अउ न गरम, केतका निक्खा होथै कि तुम ठंड या गरम हुइता।
तै कथस कि मै धन्नड हुइ गय हव अउ मोके कउन चीज के कमी नेहको, पय तोके पता नेहको हबै कि तै अभागा हबस, बेकार हबस बिना के दीन हबस, अंधरा अउ लंगडा हबस।