4 भगवान उनखर आंखी लग हर अक्ठी आंसू पोंछ डालही अउ उहां अब न कबहुन मिरतू होही, न सोक के कारन कउ रइहिन अउ न कउनो पीरा, काखे हइ सगलू पुरान बात समापत हुइ चुके हबै।”
जउन समुन्दर हे मरे हर रथै, उनके समुन्दर भगवान के आगू ठाढ करिस अउ नरक हे जिनखर मिरतू हुइ गय रथै, ऊ ओखर आगू ठाढ करिस, हर अक्ठी मनसे के उनखर काम के जसना सजा दय गइस।
काखे ऊ मेमना जउन राजगद्दी के बीच हे हबै, उनखर देखभाल करही, ऊ उनके जीवन दे बाले पानी के झरना के लिघ्घो लइ जही अउ भगवान उनखर आंखी के हर आंसू के पोंछ देही।”