1 तब फेर मै अक्ठी नबा स्वरग अउ नबा भुंइ देखो, काखे पहिला स्वरग अउ पहली भुंइ भुलाय चुके रथै अउ ऊ समुन्दरो नेहको रहिस।
कि खुदय दुनिया बिनास के गुलाम लग मुकति पाय के भगवान कर टोरवा के महिमा अउ आजाद के मगन होही।
परभु के रोज चोरटन मेर आय जही, ऊ रोज बादर गरजत तेज आरो करत नास हुइ जही, अउ तत्व जर के पिघल जइही अउ भुंइ अउ ओखर हे करे हर सगलू काम परगट हुइ जइही।
पय हम भगवान के टीमा के जसना हम अक्ठी नबा बादर अउ अक्ठी नबा दुनिया के ओरगे हबन, जिछो धरमी काम करै बाले निबास करही।
तब मै अक्ठी गोरू के समुन्दर मसे निकडत देखो, ओखर दसठे सींग अउ सातठे मूड रथै। ओखर दसों सींग हे अक-अक्ठी मुकुट रथै अउ ओखर मूड हे निन्दा के नाम लिखे रथै।
फेर मै अक्ठी बडा चरका राजगद्दी के अउ उके ओखर उप्पर बइठे रथै, देख ओखर आगू लग भुंइ अउ बादर भुलाय गइस, उनखर पता तक नेहको चल पाइस।
तब राजगद्दी हे बइठे मनसे कथै, “देख, मै सब कुछ नबा करथो।” एखर बाद ऊ कथै, “हइ बात लिख, काखे हइ बिस्वास के काबिल अउ सही हबै।”
अउ बादर फट गय रथै अउ अक्ठी किताब के पन्ना के जसना सुकुल के चिपक जथै, सगलू डोंगर अउ दीप अपन-अपन जिघा लग डोल गय रथै।