परभु मोर संग रथै अउ उन मोके सक्ति दय रथै कि मोर दवारा संदेस के घोसना पूरी तरह खतम हुइ जाय अउ सगलू दूसर जात के मनसे इके सुन सकै, मै बघवा के मुंह लग बचाय लय गय हव।
अउ ऊ उस पोखडी बाले अजगर के पूजा करे लग जथै, काखे ऊ अपन सगलू हक ऊ गोरू के दइ देथै, उन ऊ गोरू के पूजा करत कहे लग जथै, “हइ गोरू के जसना कोन हबै? अउ असना कोन हबै जउन ओखर संग लड सकै?”
मै हइ जानथो कि तै उहै रथस जिहां भुतवा के राजगद्दी हबै, तउभरमा मोर नाम के परति तोर सच्चाई हे बने हबै अउ तै मोर परति अपन बिस्वास के कबहुन नेहको नकारे, ऊ टेम जब मोर गवाह मोर बिस्वास के काबिल अन्तिपास के तुम्हर सहर हे जिहां भुतवा के घर हबै, खून के दय गइस।