तब उहै टेम स्वरग हे दूसर चिन्हा दिखथै अउ अक्ठी लाल रंग के बोहत बडा पोखडी बाले अजगर सपुवा, ओखर सातठे मूड रथै, दस सींग रथै अउ हर अक्ठी के मूड हे अक्ठी मुकुट रथै।
ऊ भुंइ के रहैबाले के चिन्हा चकित के काम दिखाउत कढ गइस, काखे ओखर लिघ्घो पहिले गोरू के मउजूदगी हे चकित के काम दिखामै के सक्ति रथै, दूसर गोरू भुंइ के रहैबाले लग ऊ पहिले गोरू के इज्जत देय के निता जेखर उप्पर तलबार के खत्ता लगे रथै अउ जउन निक्खा हुइ गय रथै, ओखर मूरती बनामै के कहे गइस।
तब मोके असना अहसास हुइस कि मै अक्ठी कांच के समुन्दर के देखथो, जेहमा आगी मिलरे हर होय अउ मै देखथो कि उन ऊ गोरू के मूरती हे अउ ओखर नाम लग सबंधित गिनती हे जीत पाय लय हबै, उहो ऊ कांच के समुन्दर हे ठाढ हबै, उन भगवान के दवारा दय हर बसुरी रथै।
मै आतमा के वस हे हुइ गयों अउ स्वरगदूत मोके पतेरा छो लइ गइस, मै उहां अक्ठी डउकी के अक्ठी लाल रंग के गोरू के उप्पर बइठे हर देखथो, गोरू के सगलू देह हे बुराई सब्द लिखररे हर रथै, ओखर सात मूड अउ सात सींग रथै।