6 अउ जउन हरमेसा जिन्दा हबै, जउन बादर, भुंइ के, सागर अउ जउन कुछ ओहमा हबै, उन सब के बनाय हबै, ओखर किरिया खाय के स्वरगदूत हइ कथै, “अब अउ जादा देरी नेहको होही।
अउ मै उहै यहों, जउन जिन्दा हबै, मै मरै रहों, पय देख, अब मै हरमेसा-हरमेसा के निता जिन्दा हव, मोर लिघ्घो मिरतू अउ नरक के चाभी हबै।
इहैनिता सगलू स्वरग अउ ओखर निबासी खुसी मनाबा, हाय हबै, भुंइ के रहैबाले अउ समुन्दर के, काखे भुतवा तुम्हर लिघ्घो पहुंच चुके हबै, ऊ बडा गुस्सा हे भर गय हबै, काखे उके पता हुइ चुके हबै कि मोर टेम बोहत कम हबै।”
फेर सतमा स्वरगदूत जब अपन खोरिया हवा हे कुढाय दइस अउ मन्दिर के राजगद्दी लग अक्ठी बोहत आरो सुनाई देथै, “पूर हुइ गइस।”
तब ऊ फेर मोर लग कथै, “काम पूर हुइ चुके हबै, मै सुरू अउ अंत हबो, मै सुरू अउ आखरी हबो, जउन पियासे हबै, ओही जीवन के जल फिरी हे पीय के निता दइहों।
ऊ चउबीस सियान ओखर गोड तरी गिरके, ऊ हरमेसा जिन्दा रहै बाले के अराधना करथै, ऊ राजगद्दी के आगू अपन मुकुट के डाल देथै अउ कथै।
“हे हमर परभु अउ हमर भगवान तहिन महिमा, इज्जत अउ सक्ति के काबिल हबस, काखे तहिन सगलू कुछु बनाय हबस, अउ तोरै इक्छा के कारन बनाय गय हबै अउ उनखर रचना हुइस।”
जब-जब हइ परानी उनखर जउन राजगद्दी हे बइठे हबै, जउन हरमेसा जिन्दा हबै, महिमा करथै, इज्जत करथै अउ उनखर परति धन्यबाद परगट करथै।
उनखर मसे हर अकझन के चरका खुरथा पइजामा दय गइस अउ उनखर लग चुटु हस टेम अउ धीर रखै के कहे गय हबै, जब तक उनखर संगी सेबकन अउ भाई-बेहन के गिनती पूर नेहको हुइ जाय, जउन उनखर जसना मरे जाय बाले रथै।