अरिस्तर्खुस, जउन मोर संग कैदी हबै, अउ बरनबास के भाई मरकुस तुम सब के नमस्ते कथै, मर के बारे हे तुमके आदेस मिल चुके हबै, अगर ऊ तुम्हर इहां आबै, ता उनखर सोगत करा।
तुम अपन अगुवन के आदेस मनिहा, उनखर तरी रइहा उन तुम्हरे आतमन के चउकीदार हबै, उनही तुम्हरे बारे हे हिसाब देयका पडही, उनखर निता हइ काम खुसी के तरह बने रहै न कि अक्ठी दुख के संग पूर कर सकै, काखे एखर लग तुमही कउनो फायदा नेहको होही।
इहैनिता मोर आमै लग मै ओखर कामन के सुरता देबाहुं जउन ऊ बेकार सब्द लग हमर निदरा करथै, ऊ एतका हे मन नेहको भरथै, ता ऊ अपन भाई के सोगत तक नेहको करथै, अउ न करै बालेन के करै देथै, बलुक उनही मंडली लग बाहिर के देथै।