पय ई बातन के आगू ऊ मनसे तुमही बन्दी बना लइहीं अउ सतइही, ऊ तुम्हर उप्पर अधिकार के आदेस चलाय के निता तुमके मंडली दरबार हे दइ देइही अउ फेर मोर नाम के कारन ऊ तुमही, राजा अउ राजपालो के आगू लइ जइही।
अगर हम दुख सहथन ता हइ तुम्हर सान्ति अउ मुकति के निता हबै, अगर हमके धीर मिले हबै ता हइ तुम्हर सान्ति के निता हबै, कि तुमो उन दुख के धीर के संग सहि सका, जउन हम सहथन।
हे भाइयो अगर मै अब तक सुध्दिकरन खतना के परचार करत होतो, ता मोर उप्पर अब तक गलत बेउहार काखे करे जथै? अगर मै असना करतों, ता क्रूस के ठोकड जउन रुकावट होथै ऊ समापत हुइ जथै।
तुम सब के बारे हे मोर निता असना सोंच बढिहा हबै, काखे तुम सब मोर मन हे बसे हबा, अउ न बलुक तब जब मै जेल हे बेडररे रहों, तबो मै संदेस के सत्य के मदत करत ओखर परतिस्ठा हे लगे रहों, तुम सब ई खासके मोर संग अनुगरह हे सहभागी रहे हबा।
तुम हमर निता बिनती करा, जेखर लग भगवान संदेस सुनामै के हमर निता दूरा खोल दे, अउ मसीह के भेद के परगट के सकि, जेखर निता मै जेल हे बन्द हव, ओही परगट करै के निता मउका मिलही।
तुमके जउन परेसानी भोगै के होही ओखर लग झइ डर, भुतवा तुम्हर परिक्छा लेय के उदेस्य लग तुम्हर मसे कुछ मनसेन के जेल हे डाल देही अउ तुम दस रोज तक परेसानी हे पडे रइहा अउ जब तक तुम्हर मिरतू न आय जाय तब तक बिस्वास ओग हे बने रइहा अउ मै तुमके जीवन के मुकुट परदान करिहों।”