ऊ अपन घमंड हे उन सगलू के बिरोध करथै, अउ उनखर लग खुद के बडा मानथै, जउन देउता कहाथै, या पवितर समझे जथै, इहां तक कि ऊ भगवान के मन्दिर हे बइठके खुद के भगवान होयके दाबा करथै।
अउ तुम, जबान टोरवा सियानन के कबजा हे रहा, तुम सब नम्र हुइ के अक दूसर के सेबा के निता कनिहा कस के तइयार रइहा, काखे भगवान घमन्डिन के बिरोध करथै, पय ऊ दीनहीन मनसेन हे दया करथै।
खास करके उन मनसेन के, जउन देह के असुध्द कामन हे लिप्त रथै अउ भोग बिलास हे जीवन गुजारत हबै, अउ सासक के बेकार समझथै, उन ढीठ, घमंडी मनसे अउ स्वरगी जन तक के निन्दा करै लग नेहको डेराय,
उन लालच हे तुमही अपन मन गडन्त बातन हे फसाय के तुम्हर लग बेकार फायदा उठाही, उनखर निता नियाव सजा पहिले लग तय हुइ चुके हबै, अउ ऊ उनखर पाछू करत हबै, उनखर नास सोय हर नेहको हबै।