अगर हम दुख सहथन ता हइ तुम्हर सान्ति अउ मुकति के निता हबै, अगर हमके धीर मिले हबै ता हइ तुम्हर सान्ति के निता हबै, कि तुमो उन दुख के धीर के संग सहि सका, जउन हम सहथन।
धन्य हबै ऊ, जउन मनसे परिक्छा हे ठाड रथै काखे परिक्छा हे खरा उतरै हे उके जीवन के ऊ मुकुट मिलही, जेही परभु अपन सेबक के दे के टीमा अपन माया करै बाले लग करे हबै।