8 लूत उन धरमी मनसेन के बीच हे रहत, उनखर रोज दिना गलत काम चाल चलन देखत अउ सुनत रहिस, इहैनिता ओही अन्तर आतमा हे दुख होत रहिस।
हमके सुरता रहै कि हइ नियम धरमी जन के निता निरधारित नेहको होय हबै, बलुक अधरमी, निरंकुसो, भक्तिहीनो, पापिन, अपवितर अउ असुध्द मनसे, दाय दादा के घात करै बाले, या हत्यारों,
बिस्वास लग हाबिल कैन लग बढिहा भेंट भगवान के चढाइस अउ उहै के दवारा ओखर धरमी काम करै के गवाह दय जथै, काखे भगवान ओखर बलि के बारे हे गवाह देइस अउ ओखरै दवारा हाबिल मरै गइस अउ बिस्वास के कारन ऊ आज बोलथै पय ऊ मर चुके हबै।
इहैनिता तुम अक दूसर के आगू अपन-अपन पापन के मान लेया, अउ अक दूसर के निता पराथना बिनती करिहा, जेखर लग तुम निक्खा हुइ जइहा, धरमी मनसे के पराथना के बल लग बोहत कुछु हुइ सकथै।