तुम तो अपन बाफ भुतवा लग हबा अउ अपन बाफ के इक्छा के पूर करै के चाहथा, ऊ तो सुरू लग खूनी रथै, ऊ सत्य हे ठाड नेहको रथै, काखे ओखर हे सत्य नेहको हबै जब ऊ झूठ बोलथै, ता अपनेन आदत के जसना बोलथै, काखे ऊ झूठा हबै अउ झूठ कर बाफ हबै।
जब ऊ पुरान युग के दुनिया के नेहको छांडिस, पय पानी के बाढ के दवारा पापिन दुनिया के नास करिस, पय ऊ नियाइपन धरमी काम करै बाले नूह अउ ओखर परवार सहित आठझन मनसेन के बचाइस,
हइ समुन्दर के उछाल लेहरा के जसना हबै, जउन अपन लज्जा गेजरा के रूप हे उछलथै, हइ रास्ता लग भटकत तरइया हबै, जेखर निता हरमेसा के निता बोहत अंधियार हे छांड दय हबै।
फिर जउन स्वरगदूत अपन पद के बनाय नेहको रखिस, पय अपन निबास हक के छांड दइस, ऊ उनके ऊ भयानक नियाव के रोज के निता अंधियार हे जउन सबरोज के निता हबै बन्धन हे रखे हबै।
तब उनके बहकामै बाले भुतवा के आगी अउ धंधकत कुन्ड हे डाल दय जही, जिहां गोरू अउ ठगरा ग्यानी मनसेन के डाले गय रथै, उन रात दिन पीरा हे हरमेसा तक तडपत रइहीं।