सादीसुधा अउ कुमारिन बाले हे अलगेन सोच हबै, बिना काज बाले परभु के चिन्ता हे रथै, ऊ जीवन अउ आतमा हे पवितर होय, पय सादीसुधा दुनिया के चिन्ता हे रथै कि अपन डउका के कसना मगन करी।
हर मेर के पराथना बिनती अउ निबेदन सहित आतमा के मदद लग हर मउका हे पराथना करत रहा, हइ लक्छ लग सगलू मेर के परयास करत रहा सचेत रहा, अउ सगलू पवितर सेबकन के निता पराथना करा।