“हे ढोंगहा गुरू अउ फरीसी तुमही लानत हबै, तुम मनसेन के निता स्वरग राज कर दूरा के बन्द करथा, न खुद ओहमा घुसथा अउ न उनही जाय देथा, जउन जाय के निता परयास करथै।”
जब यीसु नाईन सहर के परवेस दूरा के लिघ्घो पहुंचथै, ता मनसे अक्ठी मरे हर मुरदा के बाहिर मरघटियानी छो लइ जथै, ऊ अपन दाय के अक्ठिन टोरवा रथै अउ ओखर दाय बिधवा रथै अउ सहर के बोहत लग मनसे ओखर संग रथै।
तुमो, जउन डउका हबा, इहैमेर अपन-अपन डउकिन के संग इमानदारी लग रहा, काखे ऊ नर हबै कमजोर जानके ओखर इज्जत करा, हइ समझ के हम दउझन जीवन के बरदान के हकदार हबन, जेखर लग तुम्हर बिनती पराथना हे कउनो बाधा झइ पडै।