“कउनो मनसे चिमनी जलाय के कोनो मनसे उके असना जिघा हे लुकोय के नेहको धरथै, जिहां ऊ लुक जाय अउ न कउनो भडवा के तरी, पय उके सही पिरभिटिया हे धरथै, कि जेखर लग भित्तर आमै बाले मनसे देख सकै।
मै स्वरग लग अक्ठी आरो हइ आदेस देत सुनाई देथै, “लिख, धन्य हबै।” ऊ मिरतू, जउन अब लग परभु हे बिस्वास करत मरे हबै, आतमा कथै, “असनेन होय, ताकि ऊ अपन मेहनत के बाद आराम के सकै, काखे उनखर निक्खा काम उनखर संग हबै।”