तुम तो अपन बाफ भुतवा लग हबा अउ अपन बाफ के इक्छा के पूर करै के चाहथा, ऊ तो सुरू लग खूनी रथै, ऊ सत्य हे ठाड नेहको रथै, काखे ओखर हे सत्य नेहको हबै जब ऊ झूठ बोलथै, ता अपनेन आदत के जसना बोलथै, काखे ऊ झूठा हबै अउ झूठ कर बाफ हबै।
काखे अक्ठी असना टेम आही जब ऊ खरी सिक्छा के सह न सकहिन, ऊ अपन इक्छा पूर करै के निता असना गुरू के अकजुट करही, जउन उनही केबल कानन के निक्खा लगै बाले सिक्छा दइहिन।
उके बचन हे बिस्वास हे बने रहै चाही, जसना उके सिक्छा दय गय रहिस, ताकि मनसे के सही सिक्छा दइके उनही सिखाय सकै, अउ बचन के बिरोध हे बहस करै बाले के बिस्वास देबाय सकै।
इहै मेर मै तुमही हइ सुरता दिलामै चाहथो, कि सदोम अउ अमोरा अउ ओखर अगल-बगल के सहर हे हइ दूतन के जसना गलत काम हे फस गय रहै, अउ पराय देह के पाछू दउडत रहन, उनही अनन्त काल तक नेहको बुझै बाले आगी हे झपोय जाय के निता सजा दय गइस, ऊ हमर निता उदाहरन के रूप हे ठहरे हबै।
अउ असुध्द चीज ओहमा परवेस तक नेहको के पाही अउ न कउ असना मनसे जउन घ्रनित के काम करै बाले या झूठ बोलथै, ऊ मनसे ऊ सहर हे उहै परवेस के सकथै, जेखर नाम गेडरा के जीवन के किताब हे लिखररे हर हबै।