3 जब मनसे हइ कइहीं, “अब तो सान्ति अउ कउनो समस्या नेहको हबै,” तबै बिनास गरभबती के टेम दरद-पीरा के मेर, उनखर हे अचनकै आय पडही अउ उन ओखर लग नेहको बच पइहीं।
पीरा के टेम आमै लग डउकी के दुख होथै, काखे ओखर टेम आय गय हबै, पय जब लरका पइदा करै के बाद ऊ अपन दुख के बिसर जथै, काखे उके खुसी होथै कि दुनिया हे अक्ठी मनसे के जनम होय हबै।
अउ स्वरग के पहिले पइदा सिध्द मनसेन के मंडली अक जिघा होथै, जउन सब के नियाव करैबाले भगवान पूरी तरह लग पाय हर धरमी कामन के आतमा, जेखर नाम स्वरग हे लिखे हर हबै।