जे लोकसब जानबर या ओकर मुरतिके पुजा करतै या ओकर नामके चेन्हा लगाइतै, तकरासबके दुख दैबला आइगके धुवाँ जुगो-जुग तक उपर उठैत रहतै आ ओकरा रात दिन कहियो नै चैन भेटतै।”
तकरबाद चरमा स्वरगदुत आपन तुरही फुकल्कै त, सुरुज, चान आ तरासबके एक तिहाइ भागमे परहार भेलै। ओइसबके एक तिहाइ भाग अन्हारमे बदैलगेलै। अनङ दिन आ रातके एक तिहाइ भाग अन्हार भेलै।