3 महज स्वरगमे, पिरथिबीमे आ पिरथिबीके निचा पतालमे कागतके मुठाके खोइलके ओइ भितर देखैले सकैबला कोइ नै भेटलै।
परभुके मनके कोइ नै जानैले सक्ने छै। ओकरा कोइ नै सल्लाह दैले सक्तै।
चाहे स्वरगमे, पिरथिबी उपर आ पिरथिबीके निचा हेबे, सबकोइ येसुके नाउमे ठेङहुनिया दैलेपरतै।
तब स्वरगमे, पिरथिबीमे, पिरथिबी निचा पतालमे, समुन्दर आ ओते भेल सब परानीके अनङ कहैत हम सुनलियै, “सिंहासनमे बिराजमान हैबलाके आ थुमाके इस्तुती, आदर, महिमा आ बल सदा-सरबदा हेबे।”
उ कागतके मुठा खोइलके ओइ भितरमे देखैके योग्य कोइ नै भेलासे हम खुबे कानलियै।