1 तकरबाद हम दोसर सक्तिसाली स्वरगदुतके स्वरगसे निचा उतरैत देखलियै। ओकर देह बादलसे झापल छेलै आ मुरी उपर पैनसोका छेलै। ओकर चेहरा सुरुजके जखा आ ओकर टाङसब आइगके खम्हा जखा छेलै।
चेलासबके अगारीमे येसुके रुप बदैलगेलै। ओकर चेहरा सुरुज जखा चमके लाग्लै आ ओकर बस्तर उजर चमकदार भ्यागेलै।
तकरबाद मानब पुतरके सक्ती आ महामहिमासङे बादलमे आबैत उसब देख्तौ।
हे रजा, हम रस्तामे जाइत खिना दुपहरमे स्वरगसे एहेन इजोत देखलियै जे सुरुजोके इजोतसे तेज हम आ हमर सङिसबके चारुकातमे चमकलै।
देख, उ बादलमे आइबरहलछै आ हरेक लोक ओकरा देख्तै, उहोसब देख्तै जेसब ओकरा भालासे भोक्ने छेलै। सन्सारके सब जातीके लोक ओकर कारन बिलाप करतै। पक्का ओहिने हेतै। आमेन!
तकरबाद हम स्वरगसे बरका अधिकार भेल एकटा दोसर स्वरगदुतके निचा आबैत देखलियै। ओकर चमकसे पुरे पिरथिबी इजोत भेलै।
तकरबाद एकटा सक्तिसाली स्वरगदुत बरका जाँत जखा पथल उठाके एहेन कहैत समुन्दरमे फेकल्कै, “अहिनङके महानगरी बेबिलोन जोरसे फेकल जेतै आ उ फेरसे कहियो नै भेटतै।
तकरबाद हम एकटा स्वरगदुतके स्वरगसे निचा आबैत देखलियै। ओकर हाथमे नरकके कुजी आ बरका जंनजिर छेलै।
ओकर चेहरा उजर आ लाल-लाल चम्कैबला मनी जखा सुन्दर देखाइत रहलै आ सिंहासनके चारुकात चम्कैबला हरियर रङके एकटा पनसोका छेलै।
तब हम एकटा बलबान स्वरगदुतके देखलियै, जे बरका अबाजमे अनङ कैहके पुछल्कै, “अकर लाहट तोइरके अकर मुठा खोलैले के योग्यके छै?”
हम देखलियै, अकास उपरमे एकटा गरुर जोरसे अनङ कहैत सुनलियै, “पिरथिबीमे रहैबलासबके धिक्कार! धिक्कार! धिक्कार! कथिलेकी औरो बाकी रहल तिन स्वरगदुतसब तुरही फुक्तै त पिरथिबीमे परैबला बिपत केहेन हेतै?”