“तोहे धरमगुरुसबके आ फरिसीसबके धिक्कार! तुसब कपटी चिही! कथिलेत तुसब स्वरगके राजके केबार खोलैबला कुजी त लेल्ही, महज नै अपने ढुकलिही नै दोसरके ढुकैले देल्ही।
महज हे हमर पिरियसब, तुसब त यि बातसब पहिनेसे बुझलाके कारन होसियार रह। तब दुस्ट लोक तोरासबके अलमलमे नै परेसक्तौ आ तोरासबके बौकार बिस्बास कमजोर नै हेतौ।
एहेन लोकसब सन्तोखिया नै हैछै, हरदम दोसरके गल्ती निकालैछै आ अपना सेहो नै निक इक्छासबमे चलैछै, अपनेके बरका सम्झैछै आ आपन काम बनाइले दोसरके चापलुसी करैछै।