7 दोई अंयों बढाई लहरी ए भोगविलास लहरी, दोबि धोंण दुख ए धोंण शोक रांई। दोई एनोह सेहमरिंङ दि कुट्रा, “गेह रानी ओ ठ्रोह सिंहासनो टोईच़ी विराजमान तोतोग।” गेह रंणी माहशुहगा दंङ अपेहल ला शोक माह लोहग।
पर जवान रंणी मेच़िमी तु मिन दर्ज थालांही, छना कुचे अपेहल दोतु फुको हिटी इच्च़ा रंणी मेच़िमी रूपारिंङ मसीहू सेवा लहज़िमी वाईदा रंङ साते महस पक्का शुहचे यवाह, दंङ दू यह्च़ा ब्याह लहच़ी जुंज़ा,
“दंङ भत्ते धरतीऊ रज्ज़ा अंऊ दोच़ी दोरंङ साते कुकम लहरिर, अपेहल दोरे शहरो रोहषीरंङ टूह बि खमोर, दंङ दोरे दोऊ थल्जी क्रपोर दंङ शोक लोहर।”